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Consumer Commission’s big decision on WTC Noida – WTC नोएडा पर उपभोक्ता आयोग का बड़ा फैसला

Consumer Commission's big decision on WTC Noida

Consumer Commission’s big decision on WTC Noida – फ्लैट का कब्जा देने में विफलता पर वादा किए गए रिटर्न का भुगतान करें: दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग ने WTC नोएडा डेवलपमेंट कंपनी को ठहराया दोषी

दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल (अध्यक्ष) और श्री जे. पी. अग्रवाल (सदस्य) शामिल थे, ने ‘WTC नोएडा डेवलपमेंट कंपनी’ को सेवा में कमी का दोषी ठहराया है। कंपनी ने उपभोक्ता को समयसीमा में फ्लैट का कब्जा देने में विफलता दिखाई और साथ ही 100% डाउनपेमेंट योजना के अंतर्गत वादा किए गए आश्वस्त रिटर्न का भुगतान भी नहीं किया।

वादी की कहानी संक्षेप में:

वादी ने ‘वर्ल्ड ट्रेड सेंटर’ नामक परियोजना में एक फ्लैट बुक किया, जिसे WTC नोएडा डेवलपमेंट कंपनी द्वारा विकसित किया जा रहा था। इस बुकिंग के समय वादी ने ₹2 लाख की राशि का भुगतान किया। दिनांक 13 अगस्त 2014 को दोनों पक्षों के बीच डेवलपर-बायर एग्रीमेंट संपन्न हुआ। बाद में वादी ने डेवलपर की ओर से वादा किए गए निश्चित रिटर्न के आधार पर 100% डाउनपेमेंट योजना को चुना और जनवरी 2014 से नवंबर 2014 के बीच कुल ₹82,27,052/- की राशि का भुगतान कर दिया।

एग्रीमेंट की धारा 5.6 के अनुसार, डेवलपर को 4 वर्षों के भीतर निर्माण कार्य पूर्ण कर फ्लैट का कब्जा देना था। लेकिन, तय समयसीमा के भीतर न तो निर्माण कार्य पूर्ण हुआ और न ही कब्जा दिया गया। बाद में कंपनी ने कब्जा देने की समयसीमा को फरवरी 2020 तक बढ़ा दिया और कोविड-19 महामारी का हवाला देकर एकतरफा रूप से निश्चित रिटर्न की शर्तों में परिवर्तन कर दिया।

वादी की कई बार ईमेल व पत्राचार के बाद कंपनी ने रिटर्न भुगतान को लेकर नई सहमति का प्रस्ताव रखा। इस नई सहमति के अनुसार, कंपनी ने फरवरी 2020 से फरवरी 2022 तक की अवधि के लिए कुल ₹75,000/- में से 50% यानी ₹37,500/- का भुगतान करने और शेष 50% को वादी की बकाया राशि में समायोजित करने का वादा किया। साथ ही यह भी वादा किया गया कि यदि फरवरी 2022 तक कब्जा नहीं दिया गया, तो वादी को ₹75,000/- पूर्ण रिटर्न के रूप में दिए जाएंगे।

लेकिन इसके बावजूद डेवलपर ने रिटर्न का भुगतान समय पर नहीं किया। केवल अगस्त, सितंबर और अक्टूबर माह के लिए रिटर्न दिया गया। इसके बाद वादी ने कब्जा और बकाया रिटर्न की मांग को लेकर डेवलपर को कई बार पत्राचार किया, किन्तु कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। तब वादी ने 25 अगस्त 2022 को कानूनी नोटिस भेजा, लेकिन फिर भी कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। अंततः, वादी ने दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई।

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डेवलपर की दलीलें:

डेवलपर ने अपनी ओर से कहा कि वादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 2(7) की परिभाषा में उपभोक्ता नहीं आता, क्योंकि निवेश का उद्देश्य लाभ अर्जन था, जो इसे व्यावसायिक गतिविधि बनाता है। उन्होंने यह भी कहा कि वादी ने स्वयं अपनी मर्जी से एग्रीमेंट में हस्ताक्षर किए थे, जिसमें लिखा था कि यदि 13.02.2019 के बाद कब्जा में देरी होती है, तो वादी केवल इंतजार कर सकता है। उन्होंने कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन को निर्माण कार्य में देरी का कारण बताया।

आयोग की टिप्पणियाँ और निर्णय:

आयोग ने स्पष्ट किया कि वादी ने फ्लैट की खरीद के लिए पूरा भुगतान कर दिया था, जिससे वह ‘उपभोक्ता’ की परिभाषा में आता है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय Rohit Choudhary बनाम Vipul Ltd. का हवाला देते हुए आयोग ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति जीविका चलाने के लिए संपत्ति खरीदता है, तो वह उपभोक्ता ही माना जाएगा। आयोग ने यह भी कहा कि डेवलपर यह साबित नहीं कर पाया कि वादी नियमित रूप से वाणिज्यिक उद्देश्य से संपत्ति खरीद-बेच करता था।

इसके अतिरिक्त, आयोग ने कहा कि शिकायत 2 वर्ष की वैधानिक सीमा के भीतर दर्ज की गई है। Mehnga Singh Khera बनाम Unitech Ltd. में यह कहा गया था कि कब्जा न देना एक निरंतर अपराध है और इसलिए समय सीमा की गणना भी निरंतर आधार पर होगी।

आयोग ने Arifur Rehman Khan बनाम DLF Southern Homes Pvt. Ltd. तथा Fortune Infrastructure बनाम Trevor D’Lima जैसे मामलों का उल्लेख करते हुए कहा कि डेवलपर का निर्धारित समय में कब्जा न देना सेवा में कमी के अंतर्गत आता है और उपभोक्ता अनिश्चितकाल तक इंतजार करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

डेवलपर ने कोविड-19 का हवाला देकर रिटर्न बंद कर दिया था, लेकिन महामारी के बाद भी भुगतान न करना अनुचित और सेवा में कमी था। इसलिए आयोग ने निर्देश दिया कि डेवलपर वादी को ₹82,27,052/- की राशि 6% वार्षिक ब्याज सहित वापस करे। यह ब्याज प्रत्येक भुगतान की तिथि से लेकर आदेश की तिथि तक गणना की जाएगी। यदि दो माह के भीतर भुगतान नहीं किया गया, तो ब्याज की दर 9% वार्षिक होगी।

साथ ही, मार्च 2020 से शिकायत दर्ज होने तक के बकाया निश्चित रिटर्न ₹9,70,363/- का भुगतान भी करने का आदेश दिया गया। मानसिक पीड़ा के लिए ₹3,00,000/- तथा ₹50,000/- की विधिक लागत वादी को प्रदान करने का निर्देश भी आयोग ने दिया।

केस का विवरण:

  • मामले का शीर्षक: मनप्रीत शर्मा बनाम WTC नोएडा डेवलपमेंट कंपनी प्रा. लि. एवं अन्य
  • मामला संख्या: शिकायत संख्या 191/2022
  • निर्णय की तिथि: 26 मार्च, 2025

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