Landmark decision related to deficiency in service

Landmark decision related to deficiency in service कंज्यूमर सेवा में कमी से संबंधित ऐतिहासिक निर्णय

उपभोक्ता संरक्षण कानून के अंतर्गत “सेवा में कमी” (Deficiency in Service) एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जो उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करती है। भारतीय न्यायपालिका ने समय-समय पर विभिन्न मामलों में अपने निर्णयों के माध्यम से इस सिद्धांत को स्पष्ट किया है और उपभोक्ताओं के हित में सशक्त मिसालें कायम की हैं।

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Borrowers of for-profit loans are not consumers

Supreme Court – Borrowers of for-profit loans are not consumers

Borrowers of for-profit loans are not consumers सुप्रीम कोर्ट: मुनाफे हेतु लिए गए परियोजना/व्यावसायिक ऋण के उधारकर्ता ‘उपभोक्ता’ नहीं; NCDRC आदेश निरस्त और CIBIL रिपोर्टिंग विवाद पर स्पष्ट मार्गदर्शन

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Supreme Court Ends 18 Year Wait

Supreme Court Ends 18 Year Wait: अब उपभोक्ता फोरम के सभी आदेश होंगे प्रभावी

Supreme Court Ends 18 Year Wait: अब उपभोक्ता फोरम के सभी आदेश होंगे प्रभावी – अदालत ने कहा कि धारा 25 को पढ़ते समय “interim order” शब्द का अर्थ “every order” माना जाना चाहिए। अर्थात उपभोक्ता फोरम अपने अंतिम आदेश भी लागू करा सकते हैं।

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Consumer Forum Fines for False Weight-Loss Claims

उपभोक्ता मंच ने वजन घटाने के झूठे दावों पर कंपनी पर लगाया जुर्माना Consumer Forum Fines for False Weight-Loss Claims

उपभोक्ता मंच ने वजन घटाने के झूठे दावों पर कंपनी पर लगाया जुर्माना Consumer Forum Fines for False Weight-Loss Claims

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Consumer Court on negligence in hair transplant
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Consumer Court on negligence in hair transplant: बिना लाइसेंस बाल प्रत्यारोपण पर उपभोक्ता आयोग का सख्त फैसला

नई दिल्ली जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग की एक पीठ, जिसमें अध्यक्ष श्रीमती पूनम चौधरी, सदस्य श्री बरीक अहमद और सदस्य श्री शेखर चंद्र सम्मिलित थे, ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए डीएचआई एशियन रूट्स नामक क्लिनिक को दोषी ठहराया।

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Consumer Cannot Be Misled by False Drug Claims
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ड्रग प्रभावशीलता और वाणिज्यिक भाषण की आज़ादी पर दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला Consumer Cannot Be Misled by False Drug Claims – Dabur vs Patanjali Case Explained

दिल्ली हाईकोर्ट में एक प्रमुख विवाद उस समय सामने आया जब डाबर इंडिया लिमिटेड ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ एक मुकदमा दायर किया। मामला पतंजलि द्वारा अपने उत्पाद “chyawanprash” को प्रमोट करते हुए डाबर के उत्पाद को नीचा दिखाने वाले विज्ञापनों से जुड़ा था। इन विज्ञापनों में पतंजलि ने अप्रत्यक्ष रूप से डाबर के ब्रांड की आलोचना करते हुए उसके उत्पाद को “सामान्य” और “कम गुणकारी” बताया।

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Court fines britannia for contaminated biscuits

Court fines britannia for contaminated biscuits: मुंबई जिला उपभोक्ता आयोग ने ब्रितानिया इंडस्ट्रीज़ और रिटेलर को दूषित बिस्किट बेचने का दोषी ठहराया

Court fines britannia for contaminated biscuits: मुंबई जिला उपभोक्ता आयोग ने ब्रितानिया इंडस्ट्रीज़ और रिटेलर को दूषित बिस्किट बेचने का दोषी ठहराया

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Wow Momo gets relief in non vegetarian order

Wow Momo gets relief in non vegetarian order controversy over religious sentiments मुंबई उपभोक्ता आयोग का फैसला: धार्मिक भावनाओं पर मांसाहारी ऑर्डर विवाद में Wow Momo को राहत: अगर मांसाहारी भोजन धार्मिक भावनाओं को आहत करता है, तो फिर शुद्ध शाकाहारी व्यक्ति ऐसे रेस्तरां से ऑर्डर क्यों करता है जहाँ मांसाहारी भोजन भी परोसा जाता है? — मुंबई उपभोक्ता आयोग का निर्णय

Wow Momo gets relief in non vegetarian order controversy over religious sentiments मुंबई उपभोक्ता आयोग का फैसला: धार्मिक भावनाओं पर मांसाहारी ऑर्डर विवाद में Wow Momo को राहत

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Surgery Without Proper Setup is Negligence

Surgery Without Proper Setup is Negligence ज़रूरी ढाँचे के बिना बड़ी सर्जरी करना चिकित्सा लापरवाही: हैदराबाद जिला आयोग का निर्णय

Surgery Without Proper Setup is Negligence ज़रूरी ढाँचे के बिना बड़ी सर्जरी करना चिकित्सा लापरवाही: हैदराबाद जिला आयोग का निर्णय हैद...

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No Legal Duty to Provide Gravy with Porotta

No Legal Duty to Provide Gravy with Porotta: CDRC Ernakulam Rules परांठा और बीफ फ्राई के साथ ग्रेवी न देना रेस्तरां की सेवा में कमी नहीं: सीडीआरसी एर्नाकुलम का फैसला

हाल ही में एर्नाकुलम स्थित कंज़्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (CDRC) ने एक महत्वपूर्ण उपभोक्ता विवाद में यह स्पष्ट किया है कि किसी रेस्तरां पर यह कानूनी या संविदात्मक रूप से अनिवार्य नहीं है कि वह हर व्यंजन के साथ ग्रेवी भी परोसे।

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United India Insurance Company rejected the claim

United India Insurance Company rejected the claim उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग ने भारी वर्षा से हुए नुकसान पर बीमा दावा अस्वीकार करने के लिए यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को दोषी ठहराया

उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (State Commission) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को उपभोक्ता द्वारा किए गए बीमा दावे को अस्वीकार करने के लिए उत्तरदायी ठहराया है। यह दावा एक मधुमक्खी पालन व्यवसायी द्वारा किया गया था, जिसे भारी वर्षा के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा था।

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