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Marble Dealer Penalized for Defective Supply उपभोक्ता आयोग ने दोषपूर्ण आपूर्ति के लिए संगमरमर व्यापारी को दंडित किया; उपभोक्ता आयोग ने मार्बल विक्रेता को ठहराया जिम्मेदार

Marble Dealer Penalized for Defective Supply
जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, बारामुला/बांदीपोरा, जिसकी अध्यक्षता पीरज़ादा कौसर हुसैन (अध्यक्ष) और श्रीमती नायला यासीन (सदस्य) ने की, ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में मार्बल विक्रेता को दोषपूर्ण सामग्री बेचने के लिए जिम्मेदार ठहराया है। आयोग ने अपने निर्णय में स्पष्ट रूप से कहा कि उपभोक्ताओं को खराब या दोषयुक्त सामग्री बेचना और उनकी शिकायतों का समाधान न करना, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 2(47) के अंतर्गत “अनुचित व्यापार व्यवहार” (Unfair Trade Practice) की श्रेणी में आता है।
मामला संक्षेप में:
एक उपभोक्ता ने अपने निवास की मरम्मत एवं निर्माण कार्य के लिए “मून व्हाइट ग्रेनाइट” (Moon White Granite), मार्बल्स एवं अन्य निर्माण सामग्री की खरीद के लिए कुल ₹1,27,950/- का भुगतान कर ‘के.सी. मार्बल्स’ नामक प्रतिष्ठान से सामग्री खरीदी। जब यह सामग्री निर्माण स्थल पर पहुंचाई गई, तो उपभोक्ता ने पाया कि वह दोषयुक्त है। इसमें दरारें, रंग की असमानता तथा गुणवत्ताहीन पत्थरों का उपयोग किया गया था।
इस पर उपभोक्ता ने तुरंत संबंधित मार्बल विक्रेता से संपर्क कर या तो सामग्री को बदलने या फिर राशि की वापसी की मांग की। परंतु विक्रेता ने उनकी मांग को अनसुना कर दिया। उपभोक्ता ने कई बार व्यक्तिगत रूप से विक्रेता से संपर्क कर समाधान की मांग की, लेकिन कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। अंततः, उपभोक्ता ने 14 अगस्त 2023 को एक विधिक नोटिस (Legal Notice) जारी किया।
इस नोटिस के जवाब में विक्रेता ने एक प्रतिनिधि को निर्माण स्थल पर भेजा ताकि स्थिति का जायजा लिया जा सके। प्रतिनिधि ने वस्तुस्थिति देखकर माना कि सामग्री में खामियां हैं और उपभोक्ता को आश्वासन दिया गया कि उसे बदला जाएगा। लेकिन कई माह बीत जाने के बाद भी न तो सामग्री बदली गई और न ही पैसे लौटाए गए। इसके बाद उपभोक्ता ने 10 जुलाई 2024 को एक और नोटिस भेजा। चूंकि विक्रेता ने फिर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, अतः अंततः उपभोक्ता ने जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज करवाई।
आयोग की कार्यवाही:
शिकायतकर्ता की शिकायत मिलने के बाद आयोग ने ‘के.सी. मार्बल्स’ को नोटिस भेजकर सुनवाई के लिए उपस्थित होने का आदेश दिया। लेकिन, विक्रेता की ओर से कोई प्रतिनिधि आयोग के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ, जिसके परिणामस्वरूप आयोग ने मामले की एकतरफा सुनवाई (ex-parte) की।
आयोग का अवलोकन एवं निर्णय:
आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा कि दोषपूर्ण वस्तुओं की बिक्री और उपभोक्ता की शिकायतों पर ध्यान न देना अनुचित व्यापार व्यवहार की परिभाषा में आता है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2(47) के अंतर्गत किसी भी व्यापारी को यह बाध्यता होती है कि वह उपभोक्ता की शिकायतों को गंभीरता से सुने, और यदि सामग्री में कोई दोष पाया जाए, तो या तो उसे बदला जाए या राशि वापस की जाए।
इस संदर्भ में आयोग ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) द्वारा “स्मृति उषा रानी बनाम प्रिंसिपल, सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल, दिल्ली (2018)” में दिए गए निर्णय का हवाला दिया, जिसमें यह माना गया कि उपभोक्ता की शिकायतों को नजरअंदाज करना भी अनुचित व्यापार व्यवहार की श्रेणी में आता है।
आयोग ने शिकायतकर्ता की याचिका को स्वीकार करते हुए मार्बल विक्रेता को आदेश दिया कि वह या तो दोषपूर्ण सामग्री को बदले या फिर ₹1,27,950/- की राशि उपभोक्ता को वापस करे। इसके अतिरिक्त, मानसिक पीड़ा, समय की बर्बादी और उत्पीड़न के मद्देनज़र आयोग ने विक्रेता को ₹30,000/- की मुआवजा राशि और ₹10,000/- की वाद व्यय (litigation charges) देने का भी निर्देश दिया।
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उपसंहार:
यह निर्णय उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत देता है। यह संदेश स्पष्ट करता है कि व्यापारिक प्रतिष्ठान यदि गुणवत्ता से समझौता करेंगे, तो उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा। साथ ही, यह निर्णय उन उपभोक्ताओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकता है, जो अपनी शिकायतों को लेकर चुप रहते हैं या न्यायिक प्रक्रिया में विश्वास नहीं करते।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का मूल उद्देश्य उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना और उन्हें न्याय दिलाना है। यह निर्णय इस दिशा में एक सशक्त उदाहरण है कि यदि उपभोक्ता न्याय के लिए आवाज उठाता है, तो उसे न्याय अवश्य प्राप्त होगा।
The Jammu and Kashmir Consumer Protection Act, 1987
प्रश्नोत्तर प्रारूप में उपभोक्ता आयोग का निर्णय: दोषपूर्ण मार्बल बेचने पर डीलर दोषी करार
प्रश्न 1: यह मामला किससे संबंधित था?
उत्तर:
यह मामला एक उपभोक्ता द्वारा खरीदी गई निर्माण सामग्री, विशेष रूप से मून व्हाइट ग्रेनाइट और मार्बल्स के दोषपूर्ण होने से संबंधित था। उपभोक्ता ने अपने घर के निर्माण कार्य के लिए ₹1,27,950/- की सामग्री खरीदी थी।
प्रश्न 2: उपभोक्ता को किस प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ा?
उत्तर:
उपभोक्ता को यह पता चला कि जो सामग्री सप्लाई की गई थी, वह घटिया और दोषयुक्त थी—जैसे दरारें, रंग में अंतर और गुणवत्ता की कमी। इस कारण निर्माण कार्य में बाधा आई।
प्रश्न 3: उपभोक्ता ने इस पर क्या कार्रवाई की?
उत्तर:
उपभोक्ता ने पहले विक्रेता से व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर सामग्री बदलने या पैसा लौटाने का अनुरोध किया। जब कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो 14 अगस्त 2023 को एक विधिक नोटिस भेजा गया।
प्रश्न 4: क्या विक्रेता ने इस पर कोई प्रतिक्रिया दी?
उत्तर:
नोटिस मिलने के बाद विक्रेता ने एक प्रतिनिधि को साइट पर भेजा, जिसने यह माना कि सामग्री वास्तव में दोषपूर्ण है और उसे बदलने का आश्वासन दिया। लेकिन बाद में कोई कार्रवाई नहीं की गई।
प्रश्न 5: उपभोक्ता ने फिर क्या किया?
उत्तर:
जब कई महीनों तक कोई समाधान नहीं मिला, तो उपभोक्ता ने 10 जुलाई 2024 को एक और नोटिस भेजा। इसके बावजूद कोई उत्तर नहीं मिला, तो उपभोक्ता ने जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज करवाई।
प्रश्न 6: उपभोक्ता आयोग में कार्यवाही कैसे हुई?
उत्तर:
विक्रेता आयोग के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ, इसलिए मामले की एकतरफा (ex-parte) सुनवाई की गई।
प्रश्न 7: आयोग ने अपने निर्णय में क्या कहा?
उत्तर:
आयोग ने कहा कि दोषपूर्ण सामग्री बेचना और उपभोक्ता की शिकायतों का समाधान न करना “अनुचित व्यापार व्यवहार” (Unfair Trade Practice) की श्रेणी में आता है, जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 2(47) के अंतर्गत दंडनीय है।
प्रश्न 8: आयोग ने किस कानूनी मिसाल का हवाला दिया?
उत्तर:
आयोग ने स्मृति उषा रानी बनाम प्रिंसिपल, सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल, दिल्ली (2018) के मामले का हवाला दिया, जिसमें उपभोक्ता शिकायतों की अनदेखी को अनुचित व्यापार व्यवहार माना गया था।
प्रश्न 9: आयोग का अंतिम आदेश क्या था?
उत्तर:
आयोग ने विक्रेता को आदेश दिया कि या तो वह दोषपूर्ण सामग्री बदले या ₹1,27,950/- की राशि उपभोक्ता को लौटाए। साथ ही ₹30,000/- का मुआवजा और ₹10,000/- मुकदमे का खर्च भी उपभोक्ता को देने का आदेश दिया गया।
प्रश्न 10: इस फैसले से क्या संदेश मिलता है?
उत्तर:
यह फैसला उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह व्यापारियों को चेतावनी देता है कि अगर वे गुणवत्ता में चूक करेंगे और उपभोक्ताओं की शिकायतों को अनदेखा करेंगे, तो उन्हें कानूनी दंड भुगतना पड़ेगा।
Read Judgement Here Ali Mohammad Ganie Vs KC Marbles
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