Court Judgements
United India Insurance Company rejected the claim उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग ने भारी वर्षा से हुए नुकसान पर बीमा दावा अस्वीकार करने के लिए यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को दोषी ठहराया
उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (State Commission) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को उपभोक्ता द्वारा किए गए बीमा दावे को अस्वीकार करने के लिए उत्तरदायी ठहराया है। यह दावा एक मधुमक्खी पालन व्यवसायी द्वारा किया गया था, जिसे भारी वर्षा के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा था।
5 important decisions on consumer law सेवा में त्रुटि पर सुप्रीम कोर्ट के 5 प्रमुख फैसले हिंदी में
उपभोक्ता संरक्षण कानून के अंतर्गत “सेवा में कमी” (Deficiency in Service) एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जो उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करती है। भारतीय न्यायपालिका ने समय-समय पर विभिन्न मामलों में अपने निर्णयों के माध्यम से इस सिद्धांत को स्पष्ट किया है और उपभोक्ताओं के हित में सशक्त मिसालें कायम की हैं।
Supreme Court’s action on misleading medical ads भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती | राज्यों को ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज़ एक्ट लागू करने के निर्देश
भारत में स्वास्थ्य सेवाओं और चिकित्सा उत्पादों को लेकर गलत दावों वाले भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों की भरमार है। चाहे वह टीवी हो, अख़बार हो या सोशल मीडिया – हर जगह तथाकथित चमत्कारी इलाज और जादुई दवाओं का प्रचार देखने को मिलता है। इन दावों से आम जनता भ्रमित होती है और अपनी सेहत को जोखिम में डालती है।
Supreme Court Upholds Doctors’ Liability सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: डॉक्टर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत ही रहेंगे, पुनर्विचार याचिका खारिज
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए चिकित्सा पेशेवरों को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उत्तरदायी बनाए रखने के अपने पुराने निर्णय पर पुनर्विचार करने से स्पष्ट इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट की तीन-सदस्यीय पीठ ने उस समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया है जो 1995 के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बनाम वी. पी. शांथा के ऐतिहासिक फैसले पर पुनर्विचार की मांग कर रही थी।
Marble Dealer Penalized for Defective Supply उपभोक्ता आयोग ने दोषपूर्ण आपूर्ति के लिए संगमरमर व्यापारी को दंडित किया; उपभोक्ता आयोग ने मार्बल विक्रेता को ठहराया जिम्मेदार
एक उपभोक्ता ने अपने निवास की मरम्मत एवं निर्माण कार्य के लिए “मून व्हाइट ग्रेनाइट” (Moon White Granite), मार्बल्स एवं अन्य निर्माण सामग्री की खरीद के लिए कुल ₹1,27,950/- का भुगतान कर ‘के.सी. मार्बल्स’ नामक प्रतिष्ठान से सामग्री खरीदी। जब यह सामग्री निर्माण स्थल पर पहुंचाई गई, तो उपभोक्ता ने पाया कि वह दोषयुक्त है।
Landmark decision related to deficiency in service कंज्यूमर सेवा में कमी से संबंधित ऐतिहासिक निर्णय
उपभोक्ता संरक्षण कानून के अंतर्गत “सेवा में कमी” (Deficiency in Service) एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जो उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करती है। भारतीय न्यायपालिका ने समय-समय पर विभिन्न मामलों में अपने निर्णयों के माध्यम से इस सिद्धांत को स्पष्ट किया है और उपभोक्ताओं के हित में सशक्त मिसालें कायम की हैं।
Supreme Court Consumer Rights Vs Arbitration Judgment सर्वोच्च न्यायालय उपभोक्ता अधिकार एवं मध्यस्थता निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उपभोक्ताओं के हित में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 को और अधिक मजबूत बनाता है। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि मध्यस्थता क्लॉज (Arbitration Clause) होने के बावजूद, यदि उपभोक्ता चाहे तो वह उपभोक्ता फोरम (Consumer Forum) का रुख कर सकता है। इस ऐतिहासिक फैसले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उपभोक्ता अधिकार (Consumer Rights) सर्वोपरि हैं।
Consumers legal rights in case of non-payment of EMI, EMI न भरने पर उपभोक्ताओं के कानूनी अधिकार: उत्पीड़न से बचाव और समाधान
Consumers legal rights in case of non-payment of EMI, EMI न भरने पर उपभोक्ताओं के कानूनी अधिकार: उत्पीड़न से बचाव और समाधान
Consumer Commission’s big decision on WTC Noida – WTC नोएडा पर उपभोक्ता आयोग का बड़ा फैसला
Can lawyers be held liable for deficiency in service under consumer protection law क्या उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत वकील सेवा में कमी के लिए उत्तरदायी माने जा सकते हैं?
Can lawyers be held liable for deficiency in service under consumer protection law