Court Judgements
Supreme Court – Borrowers of for-profit loans are not consumers
Borrowers of for-profit loans are not consumers सुप्रीम कोर्ट: मुनाफे हेतु लिए गए परियोजना/व्यावसायिक ऋण के उधारकर्ता ‘उपभोक्ता’ नहीं; NCDRC आदेश निरस्त और CIBIL रिपोर्टिंग विवाद पर स्पष्ट मार्गदर्शन
Supreme Court Ends 18 Year Wait: अब उपभोक्ता फोरम के सभी आदेश होंगे प्रभावी
Supreme Court Ends 18 Year Wait: अब उपभोक्ता फोरम के सभी आदेश होंगे प्रभावी – अदालत ने कहा कि धारा 25 को पढ़ते समय “interim order” शब्द का अर्थ “every order” माना जाना चाहिए। अर्थात उपभोक्ता फोरम अपने अंतिम आदेश भी लागू करा सकते हैं।
Court fines britannia for contaminated biscuits: मुंबई जिला उपभोक्ता आयोग ने ब्रितानिया इंडस्ट्रीज़ और रिटेलर को दूषित बिस्किट बेचने का दोषी ठहराया
Court fines britannia for contaminated biscuits: मुंबई जिला उपभोक्ता आयोग ने ब्रितानिया इंडस्ट्रीज़ और रिटेलर को दूषित बिस्किट बेचने का दोषी ठहराया
Surgery Without Proper Setup is Negligence ज़रूरी ढाँचे के बिना बड़ी सर्जरी करना चिकित्सा लापरवाही: हैदराबाद जिला आयोग का निर्णय
No Legal Duty to Provide Gravy with Porotta: CDRC Ernakulam Rules परांठा और बीफ फ्राई के साथ ग्रेवी न देना रेस्तरां की सेवा में कमी नहीं: सीडीआरसी एर्नाकुलम का फैसला
हाल ही में एर्नाकुलम स्थित कंज़्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (CDRC) ने एक महत्वपूर्ण उपभोक्ता विवाद में यह स्पष्ट किया है कि किसी रेस्तरां पर यह कानूनी या संविदात्मक रूप से अनिवार्य नहीं है कि वह हर व्यंजन के साथ ग्रेवी भी परोसे।
United India Insurance Company rejected the claim उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग ने भारी वर्षा से हुए नुकसान पर बीमा दावा अस्वीकार करने के लिए यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को दोषी ठहराया
उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (State Commission) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को उपभोक्ता द्वारा किए गए बीमा दावे को अस्वीकार करने के लिए उत्तरदायी ठहराया है। यह दावा एक मधुमक्खी पालन व्यवसायी द्वारा किया गया था, जिसे भारी वर्षा के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा था।
5 important decisions on consumer law सेवा में त्रुटि पर सुप्रीम कोर्ट के 5 प्रमुख फैसले हिंदी में
उपभोक्ता संरक्षण कानून के अंतर्गत “सेवा में कमी” (Deficiency in Service) एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जो उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करती है। भारतीय न्यायपालिका ने समय-समय पर विभिन्न मामलों में अपने निर्णयों के माध्यम से इस सिद्धांत को स्पष्ट किया है और उपभोक्ताओं के हित में सशक्त मिसालें कायम की हैं।
Supreme Court’s action on misleading medical ads भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती | राज्यों को ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज़ एक्ट लागू करने के निर्देश
भारत में स्वास्थ्य सेवाओं और चिकित्सा उत्पादों को लेकर गलत दावों वाले भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों की भरमार है। चाहे वह टीवी हो, अख़बार हो या सोशल मीडिया – हर जगह तथाकथित चमत्कारी इलाज और जादुई दवाओं का प्रचार देखने को मिलता है। इन दावों से आम जनता भ्रमित होती है और अपनी सेहत को जोखिम में डालती है।
Supreme Court Upholds Doctors’ Liability सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: डॉक्टर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत ही रहेंगे, पुनर्विचार याचिका खारिज
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए चिकित्सा पेशेवरों को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उत्तरदायी बनाए रखने के अपने पुराने निर्णय पर पुनर्विचार करने से स्पष्ट इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट की तीन-सदस्यीय पीठ ने उस समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया है जो 1995 के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बनाम वी. पी. शांथा के ऐतिहासिक फैसले पर पुनर्विचार की मांग कर रही थी।
Marble Dealer Penalized for Defective Supply उपभोक्ता आयोग ने दोषपूर्ण आपूर्ति के लिए संगमरमर व्यापारी को दंडित किया; उपभोक्ता आयोग ने मार्बल विक्रेता को ठहराया जिम्मेदार
एक उपभोक्ता ने अपने निवास की मरम्मत एवं निर्माण कार्य के लिए “मून व्हाइट ग्रेनाइट” (Moon White Granite), मार्बल्स एवं अन्य निर्माण सामग्री की खरीद के लिए कुल ₹1,27,950/- का भुगतान कर ‘के.सी. मार्बल्स’ नामक प्रतिष्ठान से सामग्री खरीदी। जब यह सामग्री निर्माण स्थल पर पहुंचाई गई, तो उपभोक्ता ने पाया कि वह दोषयुक्त है।