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Purchase of commercial property not covered under Consumer Protection Act unless buyer proves property was used for self-employment: NCDRC व्यावसायिक संपत्ति की खरीद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के दायरे में तब तक नहीं आती जब तक खरीदार यह साबित न कर दे कि संपत्ति का उपयोग स्वयं-रोजगार के लिए किया गया था: एनसीडीआरसी

commercial property not covered under Consumer Protection Act.
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी), नई दिल्ली की पीठ जिसमें माननीय सदस्य श्री सुभाष चंद्र (अध्यक्षीय सदस्य) और एवीएम जे. राजेन्द्र (सदस्य) सम्मिलित थे, ने यह निर्णय दिया कि यदि कोई सेवा व्यावसायिक उद्देश्य से ली गई है, तो वह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत संरक्षण प्राप्त नहीं करती। यदि कोई खरीदार यह दावा करता है कि संपत्ति खरीद स्वयं-रोजगार या आजीविका अर्जित करने के उद्देश्य से की गई थी, तो उसे इस दावे को प्रमाणित करने के लिए उपयुक्त साक्ष्य प्रस्तुत करने होंगे।
मामले के संक्षिप्त तथ्य:
शिकायतकर्ता विकेश कुमार ने ‘रोज़ेलिन स्क्वेयर’ नामक परियोजना में आठ कार्यालय इकाइयों की बुकिंग की, जिनका कुल क्षेत्रफल 2400 वर्ग फुट था। यह परियोजना एम/एस रोज़ेलिन स्क्वेयर नामक डेवलपर द्वारा विकसित की गई थी। विकेश कुमार का दावा था कि इन कार्यालयों को खरीदने का उद्देश्य स्वयं का कोचिंग संस्थान स्थापित करना था, जिसमें आईईएलटीएस (IELTS) और टीओईएफएल (TOEFL) जैसी परीक्षाओं की तैयारी करवाई जानी थी।
उन्होंने डेवलपर के साथ एक आंशिक भुगतान योजना का विकल्प चुना, जिसके अंतर्गत उन्हें कुल मूल्य (₹1,56,54,078/-) का 95% भुगतान 180 दिनों के भीतर करना था। इस भुगतान योजना के साथ ‘आश्वस्त रिटर्न’ की व्यवस्था थी, जिसके अनुसार डेवलपर को 1 मार्च 2021 से निश्चित रिटर्न देना था। 22 जुलाई 2019 को विक्रय समझौता हुआ और 25 जुलाई 2019 को एक परिशिष्ट (addendum) जोड़ा गया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि शिकायतकर्ता को कब्जा नहीं मिलेगा, बल्कि वे आश्वस्त रिटर्न प्राप्त करेंगे।
समय बीतने के साथ डेवलपर द्वारा उक्त रिटर्न का भुगतान नहीं किया गया, जिससे असंतुष्ट होकर विकेश कुमार ने पंजाब राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (स्टेट कमीशन) में शिकायत दर्ज करवाई।
राज्य आयोग का निर्णय:
राज्य आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के Laxmi Engineering Works बनाम PSG Industrial Institute [1995 (3) SCC 583] मामले का हवाला देते हुए शिकायत को खारिज कर दिया। इस निर्णय में कहा गया था कि यदि कोई व्यक्ति व्यावसायिक उद्देश्य से संपत्ति खरीदता है, तो वह ‘उपभोक्ता’ की परिभाषा में नहीं आता।
अपील और एनसीडीआरसी का विचार:
राज्य आयोग के आदेश से असंतुष्ट होकर विकेश कुमार ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग (NCDRC) में अपील दायर की। अपील में उन्होंने यह तर्क दिया कि यद्यपि संपत्ति का प्रयोग व्यावसायिक था, परंतु उसका उद्देश्य स्वरोज़गार के माध्यम से अजीविका अर्जन करना था। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य आयोग ने Laxmi Engineering के निर्णय की गलत व्याख्या की, क्योंकि उसी निर्णय में यह भी कहा गया था कि यदि कोई व्यापार स्वयं के संचालन के लिए हो, तो वह उपभोक्ता की परिभाषा में आ सकता है।
इसके प्रत्युत्तर में डेवलपर ने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता ने कार्यालय इकाइयों को एक पूर्ण व्यावसायिक परियोजना के रूप में विकसित करने हेतु खरीदा था। साथ ही यह भी कहा गया कि स्वयं-रोजगार के लिए कोई अपवाद उपभोक्ता अधिनियम में नहीं दिया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आवासीय निर्माण को भले ही ‘सेवा’ की परिभाषा में शामिल किया गया हो, परंतु व्यावसायिक परिसर का निर्माण इसमें शामिल नहीं है।
शिकायतकर्ता ने NCDRC में अपील की और कहा कि भले ही संपत्ति वाणिज्यिक थी, लेकिन वह इसे स्वरोज़गार के लिए उपयोग करना चाहते थे।
हालांकि, NCDRC ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा:
- शिकायतकर्ता ने स्वयं के कार्य में सक्रिय भागीदारी का कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया।
- कोचिंग सेंटर चलाने के लिए कर्मचारियों को नियुक्त करने की बात स्वीकार करना इस बात का प्रमाण है कि यह स्वरोज़गार नहीं, बल्कि व्यवसायिक उद्यम था।
- उन्होंने जानबूझकर कब्जे का त्याग किया और केवल रिटर्न की अपेक्षा रखी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनकी मंशा संपत्ति से लाभ कमाना थी, न कि उसका उपयोग करना।
उपभोक्ता अधिनियम में ‘उपभोक्ता’ कौन?
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 2(7) के अनुसार, उपभोक्ता वह है जो वस्तु या सेवा को स्वयं के उपयोग के लिए प्राप्त करता है, न कि व्यावसायिक उद्देश्य से पुनः बिक्री या लाभ कमाने के लिए।
यदि कोई संपत्ति या सेवा स्वरोज़गार या जीविका के लिए खरीदी जाती है, और खरीदार स्वयं उस व्यवसाय में संलग्न रहता है, तभी उसे उपभोक्ता माना जाएगा।
वाणिज्यिक संपत्ति और उपभोक्ता अधिकार: क्या कहता है कानून?
- अगर आप व्यावसायिक परियोजना में निवेश करते हैं और उसका उद्देश्य केवल लाभ कमाना है, तो आप उपभोक्ता अधिनियम के तहत सुरक्षित नहीं हैं।
- लेकिन यदि आप संपत्ति का उपयोग स्वयं करते हैं, जैसे दुकान चलाना, खुद से सेवा देना, आदि, और यह आपकी मुख्य आजीविका का स्रोत है, तो आप उपभोक्ता संरक्षण का दावा कर सकते हैं – बशर्ते आप इसका सबूत दे सकें।
एनसीडीआरसी की टिप्पणियां:
एनसीडीआरसी ने पाया कि शिकायतकर्ता ने इकाइयों की बुकिंग इसलिए की थी ताकि वह किसी कोचिंग संस्थान का फ्रैंचाइज़ी ले सके, जिसमें आप्रवासन से संबंधित सेवाएं दी जानी थीं। यद्यपि शिकायतकर्ता का दावा था कि यह स्वरोज़गार के लिए था, परंतु प्रस्तुत साक्ष्य उस दावे का समर्थन नहीं करते थे।
एनसीडीआरसी ने यह भी माना कि शिकायतकर्ता ने जानबूझकर भविष्य में कब्जा लेने के अधिकार का त्याग किया था और केवल आश्वस्त रिटर्न प्राप्त करने पर सहमति दी थी। विक्रय समझौते में किए गए संशोधन इस बात का प्रमाण थे कि यह एक स्पष्ट व्यावसायिक समझौता था।
अंततः, आयोग ने कहा कि शिकायतकर्ता यह साबित नहीं कर सका कि वह इन इकाइयों का उपयोग स्वयं-रोजगार के लिए करता। इसके विपरीत, उसने स्वीकार किया कि वह कर्मचारी और स्टाफ रखकर कोचिंग सेंटर चलाने वाला था, जो ‘स्वयं की सक्रिय भागीदारी’ की परिभाषा में नहीं आता।
निर्णय:
उपरोक्त सभी तथ्यों और कानूनों को ध्यान में रखते हुए, एनसीडीआरसी ने यह कहा कि शिकायतकर्ता को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 2(7) के तहत ‘उपभोक्ता’ नहीं माना जा सकता क्योंकि यह एक पूर्णतः व्यावसायिक लेनदेन था। अतः आयोग ने अपील खारिज कर दी और राज्य आयोग के आदेश को बरकरार रखा।
मामले का नाम: विकेश कुमार एवं अन्य बनाम एम/एस रोज़ेलिन स्क्वेयर
मामला संख्या: प्रथम अपील संख्या NC/FA/390/2023
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