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District Consumer Commission held Vishal Mega Mart guilty in carry bag fee case जिला उपभोक्ता आयोग ने कैरी बैग शुल्क मामले में विशाल मेगा मार्ट को दोषी ठहराया

District Consumer Commission held Vishal Mega Mart guilty
जिला उपभोक्ता आयोग ने कैरी बैग शुल्क मामले में विशाल मेगा मार्ट को दोषी ठहराया
लखनऊ स्थित जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग-I ने विशाल मेगा मार्ट के खिलाफ एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए उसे अनुचित व्यापार व्यवहार और सेवा में कमी का दोषी ठहराया है। यह मामला एक उपभोक्ता से उसकी पूर्व सहमति के बिना कैरी बैग के लिए अतिरिक्त शुल्क वसूलने से जुड़ा था। आयोग ने स्पष्ट किया कि खुदरा कारोबार में ग्राहकों को सुविधा के रूप में कैरी बैग मुफ्त में प्रदान करना एक मानक प्रथा है और इसके उल्लंघन को गलत व्यापारिक रवैया माना जाएगा।
विवाद का संक्षिप्त विवरण
शिकायतकर्ता, श्री शशिकांत शुक्ला, विशाल मेगा मार्ट गए थे और वहां से उन्होंने 599 रुपये मूल्य की एक शर्ट खरीदी थी। बिलिंग के समय, विशाल मेगा मार्ट ने उक्त शर्ट को एक कैरी बैग में डालकर सौंपा और बैग के लिए अतिरिक्त 18 रुपये का शुल्क जोड़ते हुए कुल 616 रुपये का बिल थमा दिया। जब श्री शुक्ला ने इस अतिरिक्त शुल्क पर आपत्ति जताई और बैग लेने से इनकार किया, तब भी स्टोर के कर्मचारियों ने उन्हें पूरा बिल अदा करने के लिए मजबूर किया। मजबूरीवश शिकायतकर्ता ने भुगतान कर दिया और इसके तुरंत बाद, अपने साथ हुए इस अन्याय के विरुद्ध कदम उठाते हुए विशाल मेगा मार्ट को एक कानूनी नोटिस भी भेजा।
हालांकि, विशाल मेगा मार्ट ने इस कानूनी नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद श्री शुक्ला ने जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग-I, लखनऊ में औपचारिक उपभोक्ता शिकायत दर्ज करवाई। उन्होंने आयोग के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया कि उनकी स्पष्ट सहमति के बिना कैरी बैग के लिए शुल्क वसूलना, सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार का प्रत्यक्ष उदाहरण है।
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विशाल मेगा मार्ट की ओर से प्रतिक्रिया
जब मामले की सुनवाई हुई तो विशाल मेगा मार्ट आयोग के समक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा सका। चूंकि प्रतिवादी पक्ष अनुपस्थित रहा, आयोग ने एकपक्षीय तरीके से कार्यवाही आगे बढ़ाई और शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर निर्णय लिया।
जिला उपभोक्ता आयोग के प्रमुख अवलोकन
आयोग ने अपने फैसले में यह रेखांकित किया कि उपभोक्ताओं की सुविधा को प्राथमिकता देते हुए अधिकतर प्रतिष्ठान कैरी बैग मुफ्त में प्रदान करते हैं। आयोग ने ‘बिग बाजार (फ्यूचर रिटेल लिमिटेड) बनाम साहिल डावर (2020)’ के राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के निर्णय का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि कैरी बैग के लिए अतिरिक्त शुल्क लेना अनुचित व्यापार आचरण और सेवा में कमी के दायरे में आता है।
आयोग ने कहा कि जब ग्राहक ने स्पष्ट रूप से बैग लेने से इनकार किया और फिर भी उसे भुगतान के लिए मजबूर किया गया, तो यह न केवल ग्राहक के अधिकारों का हनन है, बल्कि सेवा मानकों का भी उल्लंघन है। खुदरा व्यापार में, यदि कोई ग्राहक अतिरिक्त सेवा या उत्पाद नहीं चाहता, तो उसे उसे खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
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आयोग का आदेश
उपलब्ध तथ्यों और कानूनी निर्णयों का अवलोकन करने के बाद, जिला उपभोक्ता आयोग ने विशाल मेगा मार्ट को निम्नलिखित आदेश दिए:
- विशाल मेगा मार्ट को शिकायतकर्ता श्री शशिकांत शुक्ला को कैरी बैग शुल्क के रूप में वसूले गए 18 रुपये लौटाने होंगे।
- इसके साथ-साथ, 18 रुपये की राशि पर बैग चार्ज किए जाने की तिथि से लेकर भुगतान किए जाने तक 9% वार्षिक दर से ब्याज भी देना होगा।
- मानसिक पीड़ा और असुविधा के लिए शिकायतकर्ता को 25,000 रुपये का अतिरिक्त मुआवजा भी अदा करना होगा।
- मुकदमेबाजी व्यय के रूप में शिकायतकर्ता को 10,000 रुपये अलग से दिए जाने का आदेश भी पारित किया गया।
- यदि विशाल मेगा मार्ट निर्धारित समयावधि (45 दिन) के भीतर उपरोक्त सभी भुगतान नहीं करता, तो देरी की स्थिति में 12% वार्षिक ब्याज की अतिरिक्त दर से यह राशि देनी होगी।
निष्कर्ष
यह फैसला न केवल श्री शशिकांत शुक्ला को न्याय दिलाने का एक उदाहरण है, बल्कि यह खुदरा कारोबारियों के लिए भी एक कड़ा संदेश है कि ग्राहकों के अधिकारों का उल्लंघन सहन नहीं किया जाएगा। आयोग ने स्पष्ट कर दिया कि खुदरा विक्रेताओं को ग्राहकों की पूर्व स्वीकृति के बिना किसी भी अतिरिक्त सेवा के लिए शुल्क वसूलने का कोई अधिकार नहीं है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत ग्राहक को यह अधिकार प्राप्त है कि वह अपनी मर्जी से सेवाओं का चयन कर सके और उस पर जबरन शुल्क नहीं थोपा जा सकता।
यह निर्णय उपभोक्ता अधिकारों को सशक्त बनाने और उचित व्यापार प्रथाओं को बढ़ावा देने की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
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