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Supreme Court Upholds Doctors’ Liability सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: डॉक्टर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत ही रहेंगे, पुनर्विचार याचिका खारिज
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए चिकित्सा पेशेवरों को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उत्तरदायी बनाए रखने के अपने पुराने निर्णय पर पुनर्विचार करने से स्पष्ट इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट की तीन-सदस्यीय पीठ ने उस समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया है जो 1995 के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बनाम वी. पी. शांथा के ऐतिहासिक फैसले पर पुनर्विचार की मांग कर रही थी।
Landmark decision related to deficiency in service कंज्यूमर सेवा में कमी से संबंधित ऐतिहासिक निर्णय
उपभोक्ता संरक्षण कानून के अंतर्गत “सेवा में कमी” (Deficiency in Service) एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जो उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करती है। भारतीय न्यायपालिका ने समय-समय पर विभिन्न मामलों में अपने निर्णयों के माध्यम से इस सिद्धांत को स्पष्ट किया है और उपभोक्ताओं के हित में सशक्त मिसालें कायम की हैं।
Supreme Court Consumer Rights Vs Arbitration Judgment सर्वोच्च न्यायालय उपभोक्ता अधिकार एवं मध्यस्थता निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उपभोक्ताओं के हित में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 को और अधिक मजबूत बनाता है। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि मध्यस्थता क्लॉज (Arbitration Clause) होने के बावजूद, यदि उपभोक्ता चाहे तो वह उपभोक्ता फोरम (Consumer Forum) का रुख कर सकता है। इस ऐतिहासिक फैसले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उपभोक्ता अधिकार (Consumer Rights) सर्वोपरि हैं।